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Inderjeet kaur

Inspirational

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Inderjeet kaur

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पर्यावरण और प्रकृति

पर्यावरण और प्रकृति

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कब तक अपने जीवन को हम

'उन्नत' करते जायेंगे !

भूल वृक्ष की मंद बयार

छांव घनी और लाभ अपार

उसके तन पर कर प्रहार

उसका अस्तित्व मिटायेंगे !

हम छाँव कहाँ से पाएंगे !


माँ बन जिसने पल पल सींचा

उन्नति का स्वार्थ गान सुनाकर

सड़कों,भवनों से चुनवाकर

उस माता के वक्षस्थल को

कब तक रौंदे जाएंगे ! 

हम कब तक रौंदते जाएंगे !


हर घर दफ़्तर और वाहन में

अब A/C कल्चर बसते हैं

सूर्यदेव को कोस के अपने

मन को शीतल करते हैं

माँ धरा का दोहन करके

सुख कैसे हम पायेंगे ! 

हम खुश कैसे रह पाएंगे !


है यही दस्तूर धरा का 

जो है दिया वो पाएंगे, 

अश्रु भरा है आँचल 'माँ' का

वजह यही है कि अब प्रतिपल

अश्रु नैन बहाएंगे ! 

बोया पेड़ बबूल का तो

आम कहाँ से पाएंगे 

हम आम कहाँ से पाएंगे !

हम खुश कैसे रह पाएंगे !!!



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