नारी
नारी
नारी तुझे लिखने की मेरी,
हर कोशिश बेकार है,
जितनी तेरे दिल में ममता,
उतना ही तेरा समर्पण अपार है,
दोस्त बने तो सम्मान है देती,
अर्धांगिनी बने तो जान है देती,
तू सीता भी है, मीरा भी तू है,
झाँसी की जो पहचान बने वो हीरा भी तू है,
अंतरिक्ष की कल्पना तू करती,
मुज़रिम भरे संसार में तू ,
किसी न्याय की किरण सी चमकती,
सुरों की हर माला की भी तू ,
सबसे मज़बूत सुरीली लता,
संगीत तुझ सा ही पावन पवित्र,
और तू ही उसकी पूजा,
फिर भी हिस्सा एक तेरा जो,
हाँ मुझमे हर पल भारी है,
जितना तूने दिया है मुझको,
लौटाने की बस कोशिश मेरी जारी ह,
कहने को तो जीवन तेरा,
उम्र की एक सच्चाई है,
फिर तेरे हर रूप को मेरा,
अनंत तक नमस्कार है,
नारी तुझे लिखने की मेरी,
हर कोशिश बेकार है,
जितनी तेरे दिल में ममता,
उतना ही तेरा समर्पण अपार है...!!