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Praveen Gola

Abstract

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Praveen Gola

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नारी

नारी

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प्यारी डायरी देखो ....
तिथि तीन जून की आली ,
आज दिन भर पकवान बने ,
बच्चों के लिए थाल सजे |

बेचारे बच्चे सोचो ना  ?
जायें तो कहाँ जायें ,
घर के अंदर पकवान खाकर ,
अपना थोड़ा मन बहलायें |

हमे माँ भगवान ने ,
इसलिये ही बनाया ,
और हमसे ही परिवार में ,
खुशियों का रँग है छाया  |

उनके लिए जीवन लगाकर ,
भी थकती नहीं स्त्री बेचारी  ,
कोरोना माहमारी के इस दौर में ,
सबसे सशक्त है केवल नारी ||




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