प्यारी डायरी देखो ....
तिथि तीन जून की आली ,
आज दिन भर पकवान बने ,
बच्चों के लिए थाल सजे |
बेचारे बच्चे सोचो ना ?
जायें तो कहाँ जायें ,
घर के अंदर पकवान खाकर ,
अपना थोड़ा मन बहलायें |
हमे माँ भगवान ने ,
इसलिये ही बनाया ,
और हमसे ही परिवार में ,
खुशियों का रँग है छाया |
उनके लिए जीवन लगाकर ,
भी थकती नहीं स्त्री बेचारी ,
कोरोना माहमारी के इस दौर में ,
सबसे सशक्त है केवल नारी ||