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Bhanu Soni

Inspirational

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Bhanu Soni

Inspirational

नारी तू नारायणी.....

नारी तू नारायणी.....

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नारी तू नारायणी...

तू किसलिए हताश है? 

ये शब्द नहीं, कोई नाम नहीं, 

ये तेरी पहचान है।

सृष्टि को रचने वाली... 

खुद अपने से अनजान है, 

नारी तू नारायणी...

तू किसलिए हताश है?


इतिहास भी साक्षी है, 

तेरे पवित्र कृत्यों का, 

मस्तक झुका है तेरे सम्मुख, 

नर, देव-सूर और दैत्यों का, 

फिर अपनी रक्षा की खातिर, 

क्यूँ गैरों की तुझको आस है? 

नारी तू नारायणी..........

तू किसलिए हताश है?


देख तो जरा ये जग सारा, 

तेरी महिमा का अनुयायी है, 

बजा है क्रोध का बिगुल तब-तब

जब-जब अधर्म ने आवाज़ उठायी है,

तेरा नाम ही सम्मान की धरोहर है

फिर किस आदर कि तुझे प्यास है? 

नारी तू नारायणी........

तू किसलिए हताश है? 


वक्त यही बस कहता है 

जरा अपनी शक्ति को पहचानो

तिनके सी शक्ति के आगे, 

जुटी रहो, हार तुम मत मानो

जग लिखेगा, कहानी शक्ति की, 

अब अपनी यही नयी शुरुआत है

नारी तू नारायणी.......

तू किसलिए हताश है?


  


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