Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

4  

Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

नारी सशक्तीकरण

नारी सशक्तीकरण

2 mins
323


जी रहे हैं सतत् भ्रम में

परिवर्तित होगा समाज का आचरण।

पूजी जाएगी पा अधिकार निज,

होगा नारी का स्थाई सशक्तीकरण।

शिव की शक्ति सचमुच बनेगी,

उसके अनुकूल बनेगा पर्यावरण।


युगों-युगों से ,

बड़े जोर-शोर से कही जा रही है,

नारी सशक्तीकरण की बात।

पर कुछ समय के अंतराल पर, है

नारी सम्मान को तार - तार कर देने वाले,

नर पिशाचों के कुकृत्य साबित कर देते हैं,

कुछ भी नहीं बदले हैं हालात।


महलों के सुख त्याग सीता,

दुख जंगलों के सहर्ष सहती।

एक बिन अश्रु बहाए,

राधा कृष्ण वियोग में आजीवन है रहती।

प्रेम निर्झर बनती नारी पिघलकर,

देती सुख जीवन सरित बनकर,

बिन शिकायत सह दर्द अगणित,

अनवरत अविरल है बहती।


बुद्धि बल दृढ़ संकल्प रख,

सावित्री यमपाश से,

सत्यवान के बचाती है प्राण।

रणचण्डी का रूप धर ही,

मिल सकेगा उसको त्राण।

देने हों अधिकार या

ढाने हों सितम तब कई बार

नर से कहीं ज्यादा नारियां ही

बन जाती हैं पाषाण।


बाहर हो या अपना घर,

जहां देखो वहां पर,

कुत्सित मानसिकता का हो रही शिकार,

आशाओं पर हो रहा कुठाराघात।

नेता जुट जाते राजनैतिक रोटियां सेंकने में,

कुछ ठोस नहीं निकलता निष्कर्ष,

होगा फिर किस विधि उत्कर्ष?


नहीं करना है चमत्कार का इंतजार,

खुद जुटकर करना होगा उद्धार।

प्रदर्शन शक्ति स्वरूप का होगा कराना,

तब ही चिर प्रतीक्षित अधिकार देगा जमाना,

और होगा साकार सपना पुराना।


नारी का होगा तब ही सच्चा सम्मान,

नारी के विविध रूपों और त्याग के महत्व को,

सम्पूर्ण समाज आदर सहित लेगा मान।

दूसरे में बदलाव की बिन किए प्रतीक्षा,

निज अपेक्षित मानसिकता में बदलाव,

स्वयं जब करेगा हर कोई इंसान।

नारी सम्मान है उसका अधिकार,

ये नहीं है कोई अहसान।


होगा तब ही प्रभावी सकारात्मक प्रभाव,

नर-नारी की मानसिकता में,

जब होगा स्थाई रूप से बदलाव।

कृतज्ञता का भाव उसके 

विविध रूपों के त्याग का।

भस्म हो जाएं समस्त कुत्सित विचार,

कृतज्ञता के भाव के ताप से।

तब ही मुक्त हो सकेगी नारी,

इन पापों के संताप से।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract