नारी पूजा है
नारी पूजा है
नारी तो एक पूजा है
इसके जैसा न दूजा है
पत्थर तोड़ना सरल है,
नारी तोड़ना गरल है,
नारी तो सतरूपा है
ज्ञान का रूप दूजा है
नारी तो एक पूजा है
ये प्रकृति अनूपा है
नारी बिना ये संसार,
बिन रंग का तरबूजा है
नारी से वो ही रूठा है
जो अज्ञान में डूबा है
नारी तो एक पूजा है
इसके जैसा न दूजा है