नारी को समझना मुश्किल
नारी को समझना मुश्किल
नारी को समझना मुश्किल है
ये लहरों से ज्यादा चंचल है
समझने वालों के लिये नारी,
गाय से भी अधिक सरल है
इसको वो ही लोग सताते है,
जो बहुत ही बड़े बुझदिल है
नारी को समझना मुश्किल है
ये एक पवित्र सा गंगा जल है
ख़ुदा भी इसे न समझ पाया
नारी की क्या होती है,माया
नारी विधि को बदल देती,
बनकर सावित्री सा नल है
ये कोमल स्वभाव से होती है,
भीतर इसके आग सा तरल है
इसके लहूं में ममता का जल है
इसकी साखी क़द्र करना सीख ले,
यही सबकी पहले गुरु का पद है
यही संसार को जन्नत बनाती है
इसके बिना ये दुनिया गरल है
नारी को समझना मुश्किल है
ये फूल और शूल दोनों का फल है।