नारी हो तुम कमजोर नहीं
नारी हो तुम कमजोर नहीं
नारी हो तुम कमजोर नहीं
इस प्रकृति का अंश हो
भोग-विलास की वस्तु नहीं
इस जगत में तुम्हारा भी अस्तित्व है।
स्वतंत्र होकर जीने का अधिकार है
करो तुम सिंगार विद्या से
मान बढ़ाओ अपना,
अपने सत्कर्मो से।
तुम नारी हो तुमसे ही समस्त
नारियों का अभिमान है
नारी हो तुम कमजोर नहीं
प्रकृति का अंश हो
भोग-विलास की वस्तु नहीं।