STORYMIRROR

Kumar Kishan

Classics

2  

Kumar Kishan

Classics

नारी हो तुम कमजोर नहीं

नारी हो तुम कमजोर नहीं

1 min
341


नारी हो तुम कमजोर नहीं

इस प्रकृति का अंश हो

भोग-विलास की वस्तु नहीं

इस जगत में तुम्हारा भी अस्तित्व है।


स्वतंत्र होकर जीने का अधिकार है

करो तुम सिंगार विद्या से

मान बढ़ाओ अपना,

अपने सत्कर्मो से।


तुम नारी हो तुमसे ही समस्त

नारियों का अभिमान है

नारी हो तुम कमजोर नहीं

प्रकृति का अंश हो

भोग-विलास की वस्तु नहीं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics