Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Bhawna Kukreti

Romance Tragedy

4.5  

Bhawna Kukreti

Romance Tragedy

नाराज़गी ख़ुद से

नाराज़गी ख़ुद से

1 min
362


वह नाराज थी

बेहद नाराज थी

उसने झूठ पकड़ा था

मगर ये पहली बार नहीं था

फिर भी वो नाराज थी

बेहद नाराज थी।


ऐसा नहीं था

की वह झूठ नहीं बोलती थी

कभी कभी खुद की 

कभी दूसरों की

खुशी को 

झूठ बोलती थी।


मगर इसबार

उसे नराजगी क्यों थी

उसकी जिंदगी 

उससे बार बार 

पूछती थी।


यार इसबार ऐसा 

क्या हुआ ऐसा जो

पहले नहीं हुआ

पहले भी तो

तुमने नजरअंदाज किया।


वो उदास थी

मगर बदहवास न थी

सुन रही थी

सब सवाल चुपचाप

कुछ भी गलत नहीं था

हर सवाल सही था

उसने उठाते हुए

अपना टूटा हुआ मन

सलीके से

जिंदगी को दिया और कहा~


"कैसे समझाऊं क्या हुआ

क्या बताऊँ क्या हुआ

मेरा भरोसा

टूटता रहा है सही है

मैने भी कभी तोड़ा है 

ये भी सही है 


पर अब जैसे जैसे 

भरोसे के जिस्म की परतें गलने लगी है

हल्की खंरोचें भी ज्यादा दुखने लगी है

झूठ मन पर बहुत भारी पड़ता है 

अब मन भी कहाँ खुद को

संभाल रखता है।


अब तो मैं ही बची हूँ 

खुद के पास,जिसे सुना ही नहीं

कभी ठीक से,

अब हम दोनों को ही है 

एक दूसरे से आस

कि जी लेंगे साझे 


कड़वे सच के साथ

कि अब हर सांस गिरवी 

रखी है वक्त के पास

की क्यों ..

क्यों झूठ बोलना अब

खुद से,

जब कमी 

है वक्त की

हर तरफ।"


हर दिन,

आखिरी दिन समझ,

समझाती रहती है

वह खुद को ही

यही सब 

बड़बड़ाते हुए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance