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Preeti Sharma "ASEEM"

Inspirational

4  

Preeti Sharma "ASEEM"

Inspirational

नाराज़

नाराज़

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वक्त के बदलते चेहरों को देख    

अब दिल उदास नहीं होता।    

अब मैं नाराज नहीं होता।।

     

अपना बनाने की कोशिश में,     

जो अपने बन ही नहीं पायें।     

अब दिल उनके लिए नहीं रोता।     

अब मैं नाराज नहीं होता।।           


जो प्यार को समझे ही नहीं,      

बाद बरसों के अब तक।     

उनको समझाने की कोशिश में,     

अब वक्त और नहीं खोता।     

अब मैं नाराज नहीं होता।।          


झूठ को सहारा तो नहीं,     

बनाया था कभी।     

लेकिन उनको अब भी,     

यकीन नहीं होता।।

अब मैं साथ सबूतों के,     

सामने पेश नहीं होता।     

अब मैं नाराज नहीं होता।          


जिंदगी में, अपनों के लिए।     

अपने सपनों को देखा ही नहीं।     

यह अलग बात है,

उन्हें इस बात का अहसास नहीं होता।     

अब मैं नाराज नहीं होता।         


मुझ पे इल्ज़ामों की एक लड़ी-सी है।     

पूछता हूँ, तो जवाब नहीं होता।        

मैं इतना भी कमजोर नहीं,     

कि अपनी गलती न मानूँ।     

मुझे अपने गलत होने का,     

जब कोई आधार नहीं होता ।           

अब खुद को सही साबित करूँ।    

जो समझें ही नहीं।     

ऐसे सबूतों का जुड़ाव नहीं होता।     

अब मैं नाराज नहीं होता।


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