नामुमकिन है
नामुमकिन है
सुनो ना...
सच कहूं तो नामुमकिन सा है,
ख़्यालों की परिधि से निकालकर
तुम्हें कागज पर उतारना.......
गढ़ देना चन्द हर्फ़ो में तुम्हारे व्यक्तित्व को,
और उसका उचित मूल्याकंन करना मेरी क्षमताओं से
परे है........
तुम्हारी व्याख्या कर पाना,
तुम्हारे व्यक्तिव को शब्दों में व्यक्त कर पाना नामुमकिन है
तुम गुणों का सागर हो तुम्हारे विस्तार को रोकना असंभव है ...
तुम्हे तो बस कल्पनाओं के बाहुपाश में,
संभालना ही संभव है, अपने जज़्बातों के साथ .....