विश्व शांति
विश्व शांति
विश्व शांति रख लो भाई, यह बहुत जरूरी है।
वरना आजकल देखो तो, भाई भाई में दूरी है।
लगता हर किसी को मोह, इस जमीं और जग से है।
भले जिंदगी चार दिन की, फिर भी इसकी मजबूरी है।
मिल जाए कहीं थोड़ी धरा, और रहती उम्मीद है।
इच्छा बढ़ती ही इसमें जाती, फिर ना आती नींद है।
भू माफियाओं जैसा हर पल जमीं से प्यार रहता।
उसके कारण भी विश्व युद्ध यहां हर वक्त होता।
धन माया मोह के कारण ये अज्ञानी रहते हैं।
काम ऐसे विनाश के करते, हाहाकार मचाते हैं।