नाम
नाम
कभी - कभी सोचती हूँ,
कि तुम्हे कोई नाम दूँ,
एक रिश्ता जिसमे हम बंधे,
उसे एक पहचान दूँ।
तुम रूह में बसे हो मेरी,
ऐसा मुझे क्यूँ लगता है ?
जब दर्द तुम्हे होता है,
तो मेरा दिल क्यूँ धड़कता है ?
मैंने कई नामों से तुम्हें पुकारा,
पर हर नाम में था एक सहारा,
हम दोनो हैं स्वच्छन्द पंछी,
जो बहें संग बहती धारा।
काफी सोच - विचारने के बाद,
मैने ये अंतिम निर्णय लिया,
कि जब तुम्हे मैं पूरी समर्पित,
फिर क्यूँ मन को अस्थिर किया ?
तुम्हे जिस नाम से मैं पुकारूंगी,
उस नाम का होगा एक "फेट",
तुम मुझे हो जान से प्यारे,
इसलिये तुम मेरे "सोलमेट"।

