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Birendra Nishad शिवम विद्रोही

Abstract

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Birendra Nishad शिवम विद्रोही

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नाखून

नाखून

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गर नाखून भी अभिन्न अंग होता

कटने से इंसान अपंग न होता।


गर नाखून पर नाखून मरा न होता

यह उंगुलियों से यूँ कटा न होता।


गर नाख़ून भी जिंदा होता,

क्या उंगलियों में खून सना न होता ?


यदि उंगुलियों में खून सना न होता,

क्या शरीर को दर्द जरा न होता ?


गर नाखून भी अभिन्न अंग होता

यह अंगुलियों से यूँ कटा न होता ?


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