नाकामियां
नाकामियां
ज़ेहन में नाकामियां ले कर, सफलता पा नहीं सकते,
जो कोशिश आधे मन से हो,तो साहिल पा नहीं सकते।।
गुजर जाती है यूँ तो जिंदगी, खुद को देकर दिलासे भी,
करके ताबीर ख्वाबों की, वो बस मंजिल पा नहीं सकते।।
सुबह होगी,शाम होगी, फिर रातें जो होंगी उम्र से लंबी,
सफर से जो बोझिल मुसाफिर, कहीं अब जा नहीं सकते।।
तराने बहुत थे ऎसे, जो न किसी महफ़िल में गाये थे ,
कोई हो साज, कोई सरगम, गीत वो अब गा नहीं सकते।।
न हो मायूस, तू फिर कर हिम्मत, वक़्त ये भी तो बदलेगा,
ये फितरत है इस लमहे की, हम भुला कर जा नहीं सकते।।
वक़्त बदलेगा और ये फ़िज़ा भी, महफ़िल फिर से झूमेंगी,
दुश्मनी खुद से ए बिस्मिल, उम्रभर हम निभा नहीं सकते।।
बदल डालो जमाने रवाजो रीत, जो बन जाये पांव की बेड़ी,
तेरे माथे पे हम ओ वक़्त,अब हर तोहमत लगा नहीं सकते।।