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Lokanath Rath

Abstract

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Lokanath Rath

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नाचो रे झूमो रे..

नाचो रे झूमो रे..

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बड़े दिनों के बाद अब आई होली

  ये रंगों का त्योहार है फागुन का,

पूरे जोश के साथ सब रचते हैं

 क्या बूढा क्या युवा सब मिलजुल के।


सब रंगों मे एक रंग जोश भरता

  वो युवा और रचनात्मक भाव के प्रतीक,

जिसे कान्हा भी अपने खेल मे खेला

  वो नारंगी है, जो कर देता भावुक।


इस रंग मे रंगे जो देखो उनको

  कुछ अलग है उनकी जोश और रचना,

तरह तरह की नई सोच के साथ

  नाचो रे झूमो रे करो पुरे सपना।


इस नारंगी ने कभी कवि को जगाया

  कभी युवाओं के भी देखो जोश बढ़ाया,

सबकी मन मे उत्साह भी बढ़ने लगा

  नाचो रे झूमो रे,शुभ दिन आया।


मन मे भरो नई नई सोच सारे

  करो कुछ अच्छे रचनात्मक कर्म और विचार,

मारो चुनी हुई शब्दो की भी पिचकारी

  नाचो रे झूमो रे सब अबकी बार।


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