न रूठना कभी
न रूठना कभी
सुनो न मेरी एक बात
जगते नही गुजारी एक रात
रात कई गुजरे यूँ ही जगते
यादों के संग तेरे लिपटते।।
तुम्हारी आती है याद खूब
लुभाती है खूब मेरे महबूब
दिल हर बार तुम्हे पुकारता है
तेरे बातों में गुम धङकन मेरे
सनम गीत तुम्हारे हीं गाता है।।
हर पल सजाता मैं तुम्हारी महफिल
फिर मग्न होते मैैं मेरा दिल
संग तेरी होती मोहिनी मूरत हमारे
तुम हो सजन रंग जीवन के सारे।।
साथ तुम्हारे तेरे प्यार में जी लेंंगें
कई कई जन्म, पाने को तुम्हें
फिर फिर लौट कर आऐंगें
राह में साथी कभी पीछे न छूटना
वादा कर सजन कभी मुझसे न रूठना।।