न कोई सीमा, न कोई बंधन
न कोई सीमा, न कोई बंधन
न कोई सीमा, न कोई बंधन,
बस प्रेम ही मेरा स्वर्ण धन।
न कोई रीत, न कोई अनबन,
तुमसे ही अब सारे संगम।
न कोई बात, न कोई जात,
तुम से ही सारे जज़्बात।
न उम्र की चिंता, न रंग का फर्क,
तुम्हारे लिए ही चंदा को अर्क।
न कोई समाज, न कोई रीति,
तुमसे ही सारे सुख की अनुभूति।
न कोई पराया, न कोई अपना,
तुम संग देखूं अब हर सपना।
न कोई वादा, न कोई रसम,
तुम संग प्रीत है तुम्हारी कसम।
न कुछ सोचना, न कुछ जाना,
बस तुम्हें ही दिल ने पहचाना।
न दुनिया की परवाह, न रिवाज़,
बस तुम मिला दो साथ में आवाज़।
न कुछ मांगा, न कुछ तुमसे चाहा,
हमको अपना जानो बस इतना कहा।
न कोई सीमा, न कोई बंधन,
बस प्रेम ही मेरा स्वर्ण धन।

