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Kanchan Prabha

Abstract Children Stories

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Kanchan Prabha

Abstract Children Stories

मयूर पंख

मयूर पंख

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मयूर पंख की एक कहानी 

ये सब बच्चों की जुबानी 


मै पढ़ती थी तब नर्सरी मे

कुछ थे पहली और दूसरी मे


कहीं से मुझको मिला मोर पंख

सभी बच्चे फिर आये मेरे संग


कितना सुन्दर कितना रंगीन

रंग थे उसके चमकीले तीन


उसमे झलका आकाश का रंग

किसी से जैसे पाश का रंग


कोमल भाव दिखने मे ऐसा   

छूने से मखमल के जैसा


हमने उसको किताब मे रखा

शायद इससे मिलनी थी विद्या


खल्ली उसको रोज खिलाते

सोचा कि वो बड़ा हो जाये


काफी दिन हमने किया था ऐसा

पर वो पंख वैसा का वैसा


आप सबों की भी यही कहानी

है ना ये सच सबकी जुबानी।


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