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Ruchi Mittal

Inspirational

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Ruchi Mittal

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मूर्ति नहीं, मैं मातृशक्ति

मूर्ति नहीं, मैं मातृशक्ति

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वह लड़ाकू विमान भी उड़ाती है,

सेना में शौर्य का परचम भी लहराती है,

देश के सर्वोच्च पद,प्रथम नागरिक का सम्मान भी पाती है,

ब्रह्मांड के अनसुलझे रहस्यो से पर्दा उठाती है,

क्या भूल पाओगे,पन्ना माँ का बलिदान,

पद्मावती का जौहर, 

दुश्मन का सर काट हवा में लहराती,

मनु की तलवार की धार,

सावित्री का सत्यवान के वापस लाना प्राण,

पी.टी. ऊषा केे रचते नित नए-नए कीर्तिमान,

सीता की अग्निपरीक्षा,मीरा की भक्ति,

अधिष्ठात्री नव देवियों की शक्ति,

घट-घट ईश्वर नहीं हो सकते,

इस विकल्प का पर्याय बनी मातृशक्ति,

अपने ऊपर ले लेती,बच्चों के ऊपर आते वार, 

वात्सल्य की मूरत माँ,लुटाती प्यार अपार,

टकरा जाती हर चुनौती से,ना आने देती आंच,

घर-बाहर दोनों जगह की जिम्मेदारी संभालती

बच्चों की प्रथम शिक्षिका कहलाती,

जिसके बिना मकान नहीं बन पाता घर, 

सूना जिस बिन घर-आँगन,

जिससे होती हर घर की सुबह और शाम,

वो नारी मूर्ति नहीं, है इंसान,

उस मातृशक्ति को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।।


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