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Neha Dhama

Abstract

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Neha Dhama

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मुस्कान

मुस्कान

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जाने वो कितने लोग होंगे

 जो मेरी मुस्कराने की

 वजह खोजा करते हैं 

जल जाते हैं मुझसे कभी कभी 


अनायास ही टोका करते हैं 

नुमाइश नही की कभी 

चाहें जितने दर्द सहे 

जाने अनजाने हमारी हंसी 


देख लोग हमारे जख्मो 

को कुरेदा करते है 

शिकवा नही जिंदगी से 

कोई ख्वाहिश बाकि नही 

जो दिया मुस्करा कर

 

बाहें फैला लिया करते हैं 

मुश्किल हैं हमे समझ पाना 

हम जिंदगी अपनी शर्तों 

पर जिया करते है 


खुश रहते हैं हंसते 

मुस्कराते हैं लोग हमी से 

हमारी हंसी का राज 

पूछा करते हैं 


जितना मिला उसी में खुश हूँ 

कुछ पाने के लिए हम 

खुद को गिराया नही करते हैं।


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