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Devendraa Kumar mishra

Abstract

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Devendraa Kumar mishra

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मुश्किल

मुश्किल

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तुम मेरे साथ मजदूरी नहीं कर सकती 

नहीं चल सकती कड़ी धूप में नंगे पैर 


तुम मेरे साथ नहीं तोड़ सकती पत्थर 

किस काम की तुम्हारी मोहक सुंदरता 


तुम परी हो और मैं मजदूर 

तुम दूर से ही भली 


स्वप्न ही बनी रहो मेरे लिए 

किन्तु साथ चलना दोनों के लिए मुश्किल।


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