मुल्क तो आज़ाद है हमको अज़ादी चाहिए
मुल्क तो आज़ाद है हमको अज़ादी चाहिए
मुल्क तो आज़ाद है हमको अज़ादी चाहिए,
बात अपनी जो करे सरकार ऐसी चाहिए।
घुट रही जनता अगर आज़ाद फिर हम क्या हुए,
आँख में आँसू नहीं मुस्कान दिखनी चाहिए।
शौक मुझको है नहीं मैं ख़ामियां गिनता रहूँ,
हुक्मराँ वादे किये ता'मील पूरी चाहिए।
आज भी साहिब चलाते हुक्म जनता पर यहाँ,
लोकशाही थी चुनी तो लोकशाही चाहिए।
साठ सालों तक किया था राज तुमने जब यहाँ,
आठ सालों में नहीं तकलीफ होनी चाहिए।
वक़्त ज़ाया' कर रहे सब चीख चिल्ला कर यहाँ,
इस सदन में देश की अब बात करनी चाहिए।
हर तरफ़ बस दिख रहा है बोलबाला झूठ का,
बात सच्ची बंद कमरों से निकलनी चाहिए।