मुलाकात
मुलाकात
किसी को दिन तो किसी को रात कुबूल है,
मेरे महबूब की सुनो हमें हर बात कुबूल है।
जीतने का ख़ौफ़ तो हारने का खौफ भी है,
मगर प्यार की हो बात तो हमें मात कुबूल है।
मुमकिन न सही दिन के उजाले में मिलना,
ख्वाबों में हो जाये तो हमें मुलाकात कुबूल है।
अंजाना हूँ जवाबों की कैफियत से जान लो,
के उनसे हों दो चार तो हमें सवालात कुबूल है।
गुनाह के रंज ओ ग़म से कोई वास्ता नहीं है।
मोहब्बत में हो जाये तो हमें हवालात कुबूल है।।

