मुक्तक
मुक्तक
तेरा नाम भी लिख दूँ तो ... ग़ज़ल म़खदूम होती है।
रोज सजती हैं महफिल यादों की बड़ी धूम होती है।
हवा सी फितरत थी तेरी,पल में ही रूख बदल गया,
दिल रखें खंजर पर इश्क की नादानियाँ खूब होती है।
तेरा नाम भी लिख दूँ तो ... ग़ज़ल म़खदूम होती है।
रोज सजती हैं महफिल यादों की बड़ी धूम होती है।
हवा सी फितरत थी तेरी,पल में ही रूख बदल गया,
दिल रखें खंजर पर इश्क की नादानियाँ खूब होती है।