Anjni Ayachi
Tragedy Inspirational Drama
चेहरा देख कर इंसान को
परख लेने का हुनर था,
तकलीफ तो तब हुई
जब अपने ही मुखौटा पहने मिल गए...!!
" चाय "
"लम्हे "
सबक
घूँघट
मुखौटा
खैरियत
गुरूर
समझदार है तू
माँ
मोह माया
पत्नी क्या रूठी जग ही रूठ गया पत्थर होकर भी तड़-तड़ टूट गया पत्नी के दर्दोगम ए सितम में साखी, वो फा... पत्नी क्या रूठी जग ही रूठ गया पत्थर होकर भी तड़-तड़ टूट गया पत्नी के दर्दोगम ए स...
अश्क आंखों में जमकर रह गए हैं। कुछ यादों के किस्से पुराने थम गए हैं। अश्क आंखों में जमकर रह गए हैं। कुछ यादों के किस्से पुराने थम गए हैं।
एक कहानी आपको सुनता हूँ, एक लड़की इसमे होती है! एक कहानी आपको सुनता हूँ, एक लड़की इसमे होती है!
अंदर ही अंदर, घुट गया मैं, कह न पाया हूं! अंदर ही अंदर, घुट गया मैं, कह न पाया हूं!
बलात्कार ये महापाप है धरती पर अक्षम्य अपराध है। बलात्कार ये महापाप है धरती पर अक्षम्य अपराध है।
गृहस्थ जीवन की शान है इसी रिश्ते से निर्मित , परिवार ,समाज और संसार है। गृहस्थ जीवन की शान है इसी रिश्ते से निर्मित , परिवार ,समाज और संसार है।
अकेलापन शोषित बनकर, उत्पीड़न करता रहा शृंगार कांटे बनकर, देह में चुभता रहा अकेलापन शोषित बनकर, उत्पीड़न करता रहा शृंगार कांटे बनकर, देह में चुभता रहा
झूठ, पाखंड और फ़रेब का बोलबाला है, बिगड़े हुए की तक़दीर बनते नही देखा है! झूठ, पाखंड और फ़रेब का बोलबाला है, बिगड़े हुए की तक़दीर बनते नही देखा है!
फिर ये क्यों घृणा, तिरस्कार, क्यों मुझे है आत्म संताप ? फिर ये क्यों घृणा, तिरस्कार, क्यों मुझे है आत्म संताप ?
कर्ज में डूबा रहता किसान सुख चैन सभी खो जाता है कर्ज में डूबा रहता किसान सुख चैन सभी खो जाता है
पानी से लबालब नदी का अस्तित्व ही क्या है ? वह तो अनन्त सागर की ओर बह रही है पानी से लबालब नदी का अस्तित्व ही क्या है ? वह तो अनन्त सागर की ओर बह ...
एक बार बंध गए गर हम , मेरे सपने भी बंदी बन जाएँगे फिर अपनी पहचान कैसे बनाएँगे? एक बार बंध गए गर हम , मेरे सपने भी बंदी बन जाएँगे फिर अपनी पहचान कैसे बना...
जिंदगी में ख़्वाब और हक़ीक़त रेल की पटरियों जैसे होते है.... साथ होकर भी दूरी बनाकर रहते जिंदगी में ख़्वाब और हक़ीक़त रेल की पटरियों जैसे होते है.... साथ होकर भी दूरी बनाक...
उच्चवर्ग खुश है काम सारे पूरे होते आराम से , काम निकालो सरकारी तंत्र से दे दो चाहे दाम उच्चवर्ग खुश है काम सारे पूरे होते आराम से , काम निकालो सरकारी तंत्र से दे दो...
सत्ताधारी रोज गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं! सत्ताधारी रोज गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं!
दुनिया में नहीं आने देंगे, कोख में ही, बेटी को मार देंगे! दुनिया में नहीं आने देंगे, कोख में ही, बेटी को मार देंगे!
तड़प रही थी चीख रही थी नोच रहा था फिर भी दरिंदा .. तड़प रही थी चीख रही थी नोच रहा था फिर भी दरिंदा ..
मानवता तो चीख रही है, धरती क्रंदन करती है। नहीं सुरक्षित बहन -बेटियाँ, हर पल बेबस रहती मानवता तो चीख रही है, धरती क्रंदन करती है। नहीं सुरक्षित बहन -बेटियाँ, हर पल ...
जान! मैं तुम्हें अपना समझकर माफ़ करती गयी! जान! मैं तुम्हें अपना समझकर माफ़ करती गयी!
भेड़ियों के जैसा रूप, इनका यही स्वरूप लोक लाज त्याग दिए व्यवहार देखिए। भेड़ियों के जैसा रूप, इनका यही स्वरूप लोक लाज त्याग दिए व्यवहार देखिए।