Anjni Ayachi
Drama Tragedy Classics
हैसियत नहीं,
मेरी अहमियत पूछना
कीमत नहीं,
मेरी खैरियत पूछना !
" चाय "
"लम्हे "
सबक
घूँघट
मुखौटा
खैरियत
गुरूर
समझदार है तू
माँ
मोह माया
क्योंकि चार बेटों की माँ है चार बहू दस नाती हैं। क्योंकि चार बेटों की माँ है चार बहू दस नाती हैं।
तेज से मैं बन ज्वाला हर तेरे बंधन दग्ध करुँगी। तेज से मैं बन ज्वाला हर तेरे बंधन दग्ध करुँगी।
जिस जगह तुमने रखा था कदम बाग़ फूलों भरा अब वहाँ हो गया जिस जगह तुमने रखा था कदम बाग़ फूलों भरा अब वहाँ हो गया
कोई और न आएगा आंसू पोंछने, यहाॅं खुद ही रूठना और खुद को मनाना होता है। कोई और न आएगा आंसू पोंछने, यहाॅं खुद ही रूठना और खुद को मनाना होता है।
ए दोस्त, तेरा नाम उस दिन हर पन्ने पर सुनहरे अक्षरों में कुरेदा जाएगा। ए दोस्त, तेरा नाम उस दिन हर पन्ने पर सुनहरे अक्षरों में कुरेदा जाएगा।
तोड़ तटबंध यादों का तूफान उमड़ा चांद मेरा बड़ा बैरी निकला। तोड़ तटबंध यादों का तूफान उमड़ा चांद मेरा बड़ा बैरी निकला।
तुम में दम है तुम कुछ भी कर सकती हो तुम में दम है तुम कुछ भी कर सकती हो
कि मुझे पहचाना नहीं, तो, हाँ मैं कंप्यूटर बोल रहा हूँ। कि मुझे पहचाना नहीं, तो, हाँ मैं कंप्यूटर बोल रहा हूँ।
एक्सपर्ट भी कैसे जो राय बताते अपनी बातों में खुद उलझ जाते। एक्सपर्ट भी कैसे जो राय बताते अपनी बातों में खुद उलझ जाते।
बेखौफ होकर निडरता से जिंदगी बसर करना क्या इतना कठिन है औरत को औरत समझना। बेखौफ होकर निडरता से जिंदगी बसर करना क्या इतना कठिन है औरत को औरत समझना।
हाँ, मैं एक कठपुतली हूँ.... प्रारब्ध की जीती जागती कठपुतली। हाँ, मैं एक कठपुतली हूँ.... प्रारब्ध की जीती जागती कठपुतली।
कभी उसे देखती हूँ चलते हुए दरख्तों के बीच से..... शायद हरियाली की आस में.... कभी उसे देखती हूँ चलते हुए दरख्तों के बीच से..... शायद हरियाली की आस में....
मुझको मेरी मांँ मेरी मांँ मांँ मेरी मांँ दे दो। मुझको मेरी मांँ मेरी मांँ मांँ मेरी मांँ दे दो।
पावस की घोर घटा देख सब नाच उठे, अधरों पर बैठी मुस्कान अब जागी है। पावस की घोर घटा देख सब नाच उठे, अधरों पर बैठी मुस्कान अब जागी है।
सांस को तरसते भविष्य देश के । सांस को तरसते भविष्य देश के ।
और चाहती है छोटा सा निवाला खैरात के सम्मान का आत्म सम्मान के नाम पर। और चाहती है छोटा सा निवाला खैरात के सम्मान का आत्म सम्मान के नाम पर।
मानव की मानवीयता का प्रतिहारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं। मानव की मानवीयता का प्रतिहारी हूँ मैं, हाँ साँवरी हूँ मैं।
बंगाल की सभी गलियों तक जय श्रीराम कहने में बड़ा ही रिस्क है। बंगाल की सभी गलियों तक जय श्रीराम कहने में बड़ा ही रिस्क है।
सारा कसूर हमारा था हमने ही तो हद से ज़्यादा इश्क़ किया था। सारा कसूर हमारा था हमने ही तो हद से ज़्यादा इश्क़ किया था।
धूप से रचेगा मंच धूप से रचेगा मंच