मुझे याद आता है
मुझे याद आता है
मुझे याद आता है,
तुम्हारे साथ घण्टों बैठे रहना,
तुम्हारे साथ बातें करना।
जब मैं जाने को होता था,
तो तुम मुझे अपनी कसम
देकर रोक लेती थीं।
जब मैं तुमसे नाराज़ होता था,
तो तुम मुझे गले से लगाकर
मना लेती थीं।
जब मैं तुम्हारे घर से वापस
आने को होता था,
तो शर्त रखता था कि तुम मुझे
गेट तक छोड़ोगी।
और कितनी भी पाबंदियां सही,
मगर तुम मुझे गेट तक छोड़ती थीं।
वो लास्ट फ़रवरी की रात मुझे
आज भी याद है।
वही, जब हल्की-हल्की बारिश
हो रही थी।
मैं और तुम गेट पर एक दूसरे की
बाँहों में बाँहें डाले भीग रहे थे।
दरवाज़ा खुला हुआ था।
अंदर से भी किसी के आने का ख़तरा था।
और बाहर से भी।
मगर हम दोनों सबसे बेख़ौफ़ होकर।
एक दूसरे को किस कर रहे थे।
वो रात मुझे जब के तब याद आ जाती है।
तुम्हारे साथ बिताया हुआ एक एक पल,
मेरे ज़हन में है।
क्या तुम्हें याद है?
मैंने वेलेंटाइन डे पर तुम्हें गुलाब दिया।
वो गुलाब मैं कितनी मुश्किल से लाया था
शायद तुम्हें नहीं पता।
पता है?
उस दिन पूरे गंजडुंडवारा शहर में,
फूल नहीं मिल रहे थे।
लगभग रात के आठ बजे थे।
तब मैंने एक फूल वाले की दुकान
खुलवा कर, तुम्हारे लिए गुलाब लिया था।
फिर उसके मुरझाने का डर था।
मुझे याद आता है!
जब हमारी लड़ाई होती थी,
तो हम दोनों की ज़िद होती थी,
कि पहले कॉल नहीं करना।
लेकिन फिर कौन करता था? पता नहीं।
बस हमारी लड़ाई जल्दी ही ख़त्म हो जाती थी।
मुझे एक एक बात याद आती है तुम्हारी।