STORYMIRROR

Noor N Sahir

Tragedy

2  

Noor N Sahir

Tragedy

मुझे मार दीजिए

मुझे मार दीजिए

1 min
319


मैं कबसे कह रहा हूँ मुझे मार दीजिए,

मैं मरना चाहता हूँ मुझे मार दीजिए।


झूठी तसल्लियों से फरेबों से आपके,

मैं तंग आ चुका हूँ मुझे मार दीजिए।


लश्कर नहीं है कोई मेरे साथ क़ातिला

तन्हा खड़ा हुआ हूँ मुझे मार दीजिए।


अंधियारे इस जहान में इकलौता मैं ही हूँ,

जो रौशनी भरा हूँ मुझे मार दीजिए।


जल्लाद को बुलाइए फाँसी लगाइए,

मुज़रिम मैं आपका हूँ मुझे मार दीजिए।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy