मुझे हारना नहीं आता
मुझे हारना नहीं आता
खुली आँखों से देखे सपनों को
मुझे नींद पर वारना नहीं आता
परिस्थितियों की आड़ लेकर
मुझे हारना नहीं आता।
माना की चलूँगी जब
मंजिल के लिए एक सफर पे
मिलेंगे रास्ते कई
कुछ कीचड़ भरे
कुछ दलदल सने।
हो सकता है के गिर पडू
थोड़ा सम्भल जाऊँ या लड़खड़ाऊँ
या तो उठ कर आगे निकल पडू
या वहीं कीचड़ में कमल सी खिल
लोगों के लिए सुन्दर, सहज मार्ग बनाऊँ।
"मेहनतकश हूँ
रखती हूँ यकीन खुद पर
और अपनी ईमानदारी पे
ये छल, कपट, प्रपंचों से
कुछ पलों के लिए
मुझे अपनी जिंदगी
सँवारना नहीं आता।
परिस्थितियों की आड़ लेकर
मुझे हारना नहीं आता।
हाँ मुझे हारना नहीं आता।"
चलूँगी ज्यों - ज्यों आगे
मिलेंगे तूफान कई
कहीं होगा हिमखंड प्रस्तर
तो कहीं होगी, अग्नि बिछी
हो सकता है बिजली बन चमक जाऊँ
या फिर मोम सी अग्नि में पिघल
सबके लिए ज्योति दीप जलाऊँ।
हौसलों की राही हूँ
संघर्षशील सिपाही हूँ
दूसरों को नीचा दिखा
चिढ़कर किसी की
सफलता में टाँग अड़ा, मुझे
"मानवता की बखिया उघाडना"
नहीं आता।
हाँ, परिस्थियों की आड़ लेकर
मुझे हारना नहीं आता
मुझे हारना नहीं आता।