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Sachhidanand Maurya

Abstract

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Sachhidanand Maurya

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मुझे भी घर पहुँचा दो

मुझे भी घर पहुँचा दो

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थक चुका मैं राही

मंजिल मेरी अनन्त,

मैं तेरा अनुयायी,

तू मेरा है सन्त,

मार्ग मुझे दिखला दो

मुझे घर पहुँचा दो।


भीड़ भरी दुनिया,

आना जाना है ,

फिर क्यू मेरा दिल

इतना वीराना है,

मन मेरा बहला दो।

मुझे घर पहुँचा दो।


दुख दाता तू, सुख दाता तू,

जुदा करे तू, मिलाता तू,

बिगाड़े तू ही, काम बनाता तू,

हर त्रासदी से हमे बचाता तू,

डूबती नैया पार लगा दो।

मुझे घर पहुँचा दो।


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