मुझे अपनी बाहों में भर लो न
मुझे अपनी बाहों में भर लो न


कभी ये सोचता हूँ की
अगर तुम्हे मुझसे प्यार हो जाए तो कैसा हो !
अगर तुम्हे मुझपर ऐतबार हो जाए तो कैसा हो !
अगर मैं तुम्हारी ख्वाबों में आने लागूं तो कैसा हो !
अगर मैं तुम्हारी नींदे चुराने लागूं तो कैसा हो !
अगर तुम्हे भी मेरी याद सताने लगे तो कैसा हो !
अगर मुझे भूलने में तुम्हे ज़माने लगे तो कैसा हो !
अगर तुम्हे भी मेरा फोन का इंतेज़ार हो तो कैसा हो !
अगर जहन में हर पल मुझे खोने का डर हो तो कैसा हो !
फिर कभी ये सोचता हूँ कि
ये मेरा खयाल हकीकत हो जाए तो कैसा हो !
शायद हमारी दुनिया जन्नत हो जाए कुछ ऐसा हो ..!
इतने करीब हो की नफरत की दिवार पिघलने लगे,
हमारे दरमियाँ सिर्फ मोहब्बत हो जाए कुछ ऐसा हो !
दो अधूरे अंक जैसे मिलकर पूर्णता तक पहुँच जाए,
सात जन्मों तक का प्यार पूरी हो जाए कुछ ऐसा हो !
तुम्हे जब सोचता हूँ तो सपनो की सेज सजा लेता हूँ
इस जन्मों में अब कोई चमत्कार हो जाए कुछ ऐसा हो..!