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pawan mohakul

Romance

3.9  

pawan mohakul

Romance

मुझे अपनी बाहों में भर लो न

मुझे अपनी बाहों में भर लो न

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कभी ये सोचता हूँ की 

अगर तुम्हे मुझसे प्यार हो जाए तो कैसा हो !


अगर तुम्हे मुझपर ऐतबार हो जाए तो कैसा हो !

अगर मैं तुम्हारी ख्वाबों में आने लागूं तो कैसा हो !


अगर मैं तुम्हारी नींदे चुराने लागूं तो कैसा हो !

अगर तुम्हे भी मेरी याद सताने लगे तो कैसा हो !


अगर मुझे भूलने में तुम्हे ज़माने लगे तो कैसा हो !

अगर तुम्हे भी मेरा फोन का इंतेज़ार हो तो कैसा हो !

अगर जहन में हर पल मुझे खोने का डर हो तो कैसा हो !


फिर कभी ये सोचता हूँ कि

ये मेरा खयाल हकीकत हो जाए तो कैसा हो !

शायद हमारी दुनिया जन्नत हो जाए कुछ ऐसा हो ..!


इतने करीब हो की नफरत की दिवार पिघलने लगे,

हमारे दरमियाँ सिर्फ मोहब्बत हो जाए कुछ ऐसा हो !


दो अधूरे अंक जैसे मिलकर पूर्णता तक पहुँच जाए,

सात जन्मों तक का प्यार पूरी हो जाए कुछ ऐसा हो !


तुम्हे जब सोचता हूँ तो सपनो की सेज सजा लेता हूँ 

इस जन्मों में अब कोई चमत्कार हो जाए कुछ ऐसा हो..!


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