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Alok Ranjan

Abstract

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Alok Ranjan

Abstract

मुझे अब मरना है

मुझे अब मरना है

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मुझे अब मरना है

लेकिन आत्महत्या करके नहीं

किसी दुर्घटना के चपेट में।


क्योंकि बच्चे मर रहे मेरे

तड़प तड़प कर

कुछ नहीं उनके पेट में।


हां गलती थी हमारी

है भी हमारी

और रहेगी भी

क्यों नहीं कुछ रहना भी

तो चाहिए प्लेट में।


ग़रीबी से तो सही 

हम जात से भी लड़ते हैं

यु ही नहीं वे रगड़ते हैं 

नाक स्लेट में।


हँस मत पागल सब क्या सोचेंगे,

जब तुम ही पढ़ लेगा फिर किसे नोचेंगे

होटल में बिक गया आज वो भी मेरे रेट में।


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