मुहब्बत
मुहब्बत
मुहब्बत
मुन हसिर है अपनी-
अपनी बुसअते दिल पर।
न यह
आसान होती है
ना यह दुश्वार होती है।।'
मैकदे
में जिंदगी है
शोर-ए नोशा नोश से,
मिट गए
होते अगर हम
जाम -ओ मीना देखते।"
जिससे
सूरत यार की
अपने में आ जाए नजर,
इश्क
बिन यह शग्ल-ए
आईना बताता कौन है।।"
