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Neelam Sharma

Romance

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Neelam Sharma

Romance

मुहब्बत ख़ुमार

मुहब्बत ख़ुमार

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बना मैं फूलों के हार आई।

मुहब्बतों की बहार आई।


लगा ये कैसा है रोग हमको,

चढ़ा मुहब्बत ख़ुमार आई।


बनीं शमा जल रही हूँ हमदम,

पिया मैं करके श्रृंगार आई।


चली हवाएँ पिया मिलन की,

मिला भँवर जब बयार आई।


वो मेरे दिल का सुकून दिलबर,

कि जाँ जिगर कर निसार आई।


दवा करें या दुआएँ बोलो,

बता जिगर किसपे हार आई।


ये शायरी शेर कहके नीलम,

तु करके किससे करार आई।


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