मत्स्यकन्या
मत्स्यकन्या
एक बार एक जलपरी रहती थी,
गहरे समुद्र में,
जहाँ किसी ने डुबकी नहीं लगाई।
सुंदर और शालीन, निष्पक्ष और चमकदार,
उसकी पूँछ इतनी चमकदार,
उसके बाल झिलमिलाते,
जैसे ही वह गहरे समुद्र में तैरती है।
वह सुन्दर थी, उसे सब पसंद आया,
वह जलपरी है, एक जलपरी शादी करेगी।
उसके पिता की केवल उम्मीद, माँ की ही आस है,
वो तो जलपरी है, वह छोटी मत्स्यांगना।
