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Suresh Koundal 'Shreyas'

Inspirational Others

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Suresh Koundal 'Shreyas'

Inspirational Others

मतलबी इंसान

मतलबी इंसान

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धन दौलत के मद में इंसान,

इस क़दर मतलबी हो गया ।

रिश्ते नाते तोड़ - छोड़,

इस अंधी दौड़ में खो गया ।।


कीमत न रही ईमान की,

न इंसानियत का मोल ।

हर रिश्ते को रखता है अब,

दौलत के तराज़ू में तोल ।।


मात पिता की कदर कहाँ,

ना भाई भाई का प्यार ।

पैसे का बोल बाला जग में,

धन दौलत का व्यापार ।।


हिंसा, अहम, लोभ और लालच

हर जगह मचा है हाहाकार ।

इतनी प्यारी धरा पर देखो,

मची है चीखों पुकार ।।


घात लगाए बैठे भेड़िये,

करने अस्मत तार तार ।

नन्ही कलियां रौंदी जा रही

हो रही मानवता शर्मसार ।।


देखकर मंजर विचलित है मन,

आंखों में भर आया 'नीर'।

सोच कर हृदय हुआ द्रवित,

क्या यही है धरा की तकदीर ?


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