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Ranjeeta Govekar

Abstract

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Ranjeeta Govekar

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मत दो कोई नाम इसे

मत दो कोई नाम इसे

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मत दो कोई नाम इसे

गुमनामही इसको रहने दो ना

उस दिल से इस दिल के रिश्ते को

कोई नाम तुम मत दो ना।


कुछ बातें लबों तक आती नहीं

तो उनको वही पर रहने दो ना

दिल की बस्ती में आशियाना बसा है

तो उस को वहीपे बसने दो ना।


कुछ बेले लिपटी पेड़ों से

कुछ छाँव तले जो बढ़ती है

रुह से रुह का नाता गर हो

जमीन के अंदर जड़ती हैं।


मत दो कोई नाम इसे

ये अनकहा सा जो रिश्ता है

कमजोर इसकी डोर नहीं है

विश्वास का हर एक धागा है।


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