मोहब्बत
मोहब्बत
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फिक्र करती हूं..
पर जिक्र नंही
बेइंतहा मोहबब्त है...
आज ये कबूल करती हूं!
नसीब ने दूर किया;
नसीब ही मिलवाएगा!
इंतज़ार उस वक्त का हैं..जब
तुम्हें हमारा ख्याल आयेगा!
एहसास हो जायेगा..
तुम्हें सच्ची मोहबब्त पर;
जिस पर तुमने अपना
झूठा प्यार जतलाया था!
कहा करती नही..
बया करती नही..
दर्द हमे भी होता हैं..
जताया करती नही!
अफसोस रहेगा हमे
अपनी मोहब्बत पर
ना तुम–हम समझ पाए!
वफ़ा ए राजदार में!
क़िस्मत में मोहब्बत
हमारी अधूरी रह गयी!
देखो ना आज मेरी रवानी
मेरी ही कविता की कहानी !