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Saif a Ali

Romance

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Saif a Ali

Romance

मोहब्बत

मोहब्बत

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लिखने के लिए लिखूं, आफताब हो तुम 

और फिर तुम्हें लिखूं महताब हो तुम,


दुनिया के लिए वो एक आम शख्स है 

मेरे लिए मेरी खुशियों का राज हो तुम,


बहुत सारे फूल खिले है, इश्क के बाग में 

मगर इस चमन में महकता गुलाब हो तुम,


जिसकी निगाहों से पीकर,पीने वाला संभाल जाए 

इश्क के मयखाने की एक अच्छी शराब हो तुम,


जिसको लिखते हुए कलम भी झूम उठे

ऐसे आशिक की, खूबसूरत लिखावट हो तुम,


होंठ जैसे गुलाब, जुल्फें काली घटाएं जैसी

लगता है किसी शायर की खूबसूरत ख्वाब हो तुम,


सूखे खेतों में जब बारिश हो जाए किसान के

उस किसान कि खिलखिलाती मुस्कान हो तुम,


जिसको पढ़कर पढ़ने वाला भी कहे वाह वाह 

इकबाल की गजल और गालिब की शायरी हो तुम,


जो मौसम सुहाना और खूबसूरत लगे 

उस शाम की चमकती हुई चांद हो तुम 


अब अपने कलम से क्या लिखें सैफ तुम्हें

इश्क हो, और खूबसूरत एहसास हो तुम 



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