एक खूबसूरत सा ख़्वाब
एक खूबसूरत सा ख़्वाब
रात में जब वो छत पर आ गई
चाँद सा चेहरा सामने आ गया
महसूस किया जब अपने दिल से
ऐसा लगा रेगिस्तान में बारिश आ गई
जब उसने दुपट्टा हवा में लहराया
ऐसा लगा फिजा में होली आ गई
जब वो अपने जुल्फे संवारने लगी
ऐसा लगा, मरीज को सिफा आ गई
सोचा पूछ लूँ उसका मैं, नाम पता
कमबख्त तभी अलार्म की घड़ी आ गई

