मोहब्बत
मोहब्बत
मैं नहीं जानती कि वक़्त की रज़ा क्या है,
तुझसे मोहब्बत करने की सज़ा क्या है..
तेरा दीदार, जुगनू की पल भर की रोशनी सा है,
क्या कहूँ, उस चमकती हयात की अजा क्या है..
तेरी यादों के कफ़स में
क़ैद मेरी हर साँस है
ग़र इसी को कहते हैं ज़िंदगी,
तो कज़ा क्या है...!