मोहब्बत
मोहब्बत


मोहब्बत वो बारिश है,
जो बिन सावन बरसती है,
बस ज़रूरत होती है,
तो खुद को खोलने की,
इन दर्द भरी दरारों को,
बेशुमार सुकून पहुँचाना है,
प्रेम की बूँदों में भीगाना है,
तभी तो बहार आएगी,
सुलगती ज़मीन सा ये दिल,
तभी तो इसकी तड़प जाएगी,
गुलशन होगा हर एक कतरा रूह का,
जब मोहब्बत की बारिश आएगी।