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Sandeep Kumar

Classics Inspirational Children

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Sandeep Kumar

Classics Inspirational Children

मोहब्बत में अक्सर कोई रुठ जाता

मोहब्बत में अक्सर कोई रुठ जाता

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जो छोड़ दिए रास्ते में वह छुट जाता है

किए आज का वादा कल टुट जाता है

मैं अंजान हूं या मै बेखबर हूं पता नहीं

मोहब्बत में अक्सर कोई रुठ जाता है।।


भूल करता है और फिर भूल जाता है

किए कस्में वादे सब फिजूल जाता है

रो लेता है दो पल का आशू फिर खुश

मुहब्बत का यह सब असुल होता है।।


गम के सागर में डूब कर दुर जाता है

वहां होकर मजबूर गाने जरूर गाता है

फिर करता फजीहत मजबूर होता है

मोहब्बत में क्या कभी गरुर होता है।।


मय सा नशा है क्या फितूर होता है

ये जुनुनी नशा में गलती जरूर होता है

भूल जाते हैं सब भुत भविष्य वर्तमान

ऐसा पागल मुहब्बत का सुरुर होता है।।


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