STORYMIRROR

Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Classics

4  

Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Classics

मोहब्बत और मौत

मोहब्बत और मौत

1 min
287

मोहब्बत और मौत की फितरत एक है

एक माँगता दिल दूसरा उसकी धड़कन


दोनों आते चुपके चुपके अंजान राहों से

भरती एक बाहों मे दूजा बढ़ाती बेसुध राहों पे


मोहब्बतें बनाती कहानियाँ

सुबोध भी जटिल भी

खामोश भी बिंदास भी

पहचानी भी अंजानी भी


व्यक्त भी अव्यक्त भी

जवान भी उम्रदराज भी

मौत तेरी एक ही पहचान

अटल सत्य पूर्ण विराम !


तेरे सिवा प्रेमी सब सिर्फ कहने को

बैठा तैयार व्याकुल तुमसे मिलने को

लगता है मौत तू बहुत ही हसीन होगी

तभी तो प्रथम मिलन में रुकती धड़कन होगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics