"मनुज जन्म का रूप "
"मनुज जन्म का रूप "
कैसे मैं वर्णन करूँ, बाल सुलभ स्वरूप
सबको मनमोहक लगे, मनुज जन्म का रुप
मनुज जन्म का रूप, देव पाने को तरसे
मिले गोद का प्यार, मेह कंचन सा बरसे
हुआ समय का फेर, बुढापा आया ऐसे
दिया बेंत ने साथ, जरा का आलम कैसै।
