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Nisha Nandini Bhartiya

Tragedy

3  

Nisha Nandini Bhartiya

Tragedy

मनु की संतान

मनु की संतान

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दुर्दशा गरीब की 

किसान की मजदूर की, 

अनाथ की सनाथ की 

दुर्बलों और दीन की।


पटरियों पर पड़े 

भूखे पेट सो रहे, 

समेट कर पैर को 

पेट से लगा रहे।


और हम वहां खड़े 

चित्र खींचते रहे, 

मनु की संतान का

हश्र देखते रहे।


खुली न थी आँख भी

कि भीख मांगते खड़े, 

दिखा दिखा कर पेट को 

हाथ को फैला रहे।


सूर्य की तपस में 

अर्धनग्न घूमते,

हर गली मोड़ पर 

ठोकरें खा रहे।


और हम वहां खड़े 

चित्र खींचते रहे, 

मनु की संतान का

हश्र देखते रहे।


स्वप्न आँख में भरे

अट्टालिका निहारते, 

कठोर गर्म भूमि पर

नंगे पैर दौड़ते।


भिनभिनाते ढेर पर

जूठन टटोलते, 

भूख शमन के लिए 

टकटकी लगा रहे।


और हम वहां खड़े 

चित्र खींचते रहे, 

मनु की संतान का 

हश्र देखते रहे।



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