मन्नत के धागे
मन्नत के धागे
वक़्त बदलता नहीं यूँ उसे बदलने की तरकीब चाहिए
तू उठ अब खुदा के बंदे मुझे तेरी अब हर चीज चाहिए
इश्क़ है तू ईमान ना खो मुझे तुझसे मेरा सम्मान चाहिए
साया मेरा साथ तेरे दोनों संग पंच तत्व में विलीन चाहिए
रूह को तुझसे सूकून मिले हर जीत पर तेरा साथ चाहिए
मन्नत के धागे बाँधे हर जगह कि ऐसा मुझे हमसफ़र चाहिए
सलामती तेरी तरक्की तेरी दुआ सारी अब कुबूल चाहिए
मुट्ठी में भर लूँ आसमाँ राह में न रहे अब कोई शूल चाहिए
ज़ज्बात मेरे बेकाबू जैसे शोहरत तेरी अब बेपनाह चाहिए
प्यार मेरा सच्चा रे पगले ! हाँ ! मुझे बस हर जन्म तू चाहिए।