मंहगाई
मंहगाई
आय घट गई, मंहगाई बढ़ गई,
नेताओं की चाँदी कट गई।
रोज कुआ खोदा, रोज प्यास मिटाई,
मंहगाई ने अरमानों की चिता जलाई।।
आम आदमी की तोड़ दी कमर,
चलना है काँटों भरी ड़गर।
शिक्षा-शादी बेटी की हुई न पूरी -
जुल्मी मंहगाई करे अत्याचार।।
घुट-घुट साँस चल रही,
अध नंगे रामू की हालत भारत दुर्दशा कह रही।
संसद जाम छलका रहा -
गरीब जनता अमीर नेता, फिल्म अनोखी चल रही।।
