मन
मन
मन का बोझिल रहना
मोह माया की
किसी धारा में
न बहना
जीवन का
अभिशप्त लगना
अपनो के
दुख से दुखी
सांसारिक उलझनों के
आगे घुटनों का टेकना
और न जाने क्या क्या....
क्या यही
नैराश्य वैराग्य की
परिभाषा है??
मन का बोझिल रहना
मोह माया की
किसी धारा में
न बहना
जीवन का
अभिशप्त लगना
अपनो के
दुख से दुखी
सांसारिक उलझनों के
आगे घुटनों का टेकना
और न जाने क्या क्या....
क्या यही
नैराश्य वैराग्य की
परिभाषा है??